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हार्ट फेलियर यानी दिल की विफलता के प्रबंधन में प्रौद्योगिकी किस प्रकार सहायता कर सकती है? वेअरबल्स यानी पहनने योग्य (परिधेय) उपकरणों और रिमोट मॉनिटरिंग की भूमिका

हार्ट फेलियर के विरुद्ध जीवन की लड़ाई में, प्रौद्योगिकी एक शक्तिशाली सहयोगी बन कर उभरी है, जो इस क्रॉनिक (पुरानी) दशा को सँभालने और रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने हेतु अभिनव समाधान उपलब्ध करा रही है।

वेअरबल्स यानी पहनने योग्य उपकरणों और रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम के एकीकरण ने स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी है, जिससे स्वास्थ्य पेशेवरों को रियल टाइम डेटा प्राप्त हो रहा है और रोगियों को व्यक्तिगत देखभाल प्रदान की जा रही है।

वेअरबल उपकरण: डेटा के जरिये मरीजों को सशक्त बनाना

  • स्मार्टवॉच और फिटनेस ट्रैकर जैसे वेअरबल्स आज क़दमों की गिनती करने और हृदय गति (हार्ट रेट) की निगरानी रखने से मीलों आगे बढ़ चुके हैं।
  • वे अब हृदय गति, रक्तचाप (ब्लड प्रेशर), ऑक्सीजन सैचुरेशन (संतृप्ति) जैसे विभिन्न स्वास्थ्य मैट्रिक्स की लगातार निगरानी करके और यहाँ तक कि एट्रियल फाइब्रिलेशन जैसी अनियमित हृदय लय (रिदम) का पता लगाकर हार्ट फेलियर के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • ये रियल टाइम डेटा स्ट्रीम रोगियों को अपने स्वास्थ्य को लेकर अधिक सक्रिय होने हेतु सशक्त बनाते हैं, जिससे उन्हें संभावित मुद्दों का शीघ्र पता लगाने और तत्काल चिकित्सा सहायता प्राप्त करने में मदद मिलती है।

रिमोट मॉनिटरिंग: स्वास्थ्य सेवा में अंतर को पाटना

  • रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम स्वास्थ्य पेशेवरों को इस कदर सक्षम बनाता है कि वे नियमित रूप से क्लिनिक जाने की आवश्यकता के बिना हार्ट फेलियर के रोगियों की चौकस निगरानी कर सकें।
  • ये प्रणालियाँ वेअरबल उपकरणों से प्राप्त डेटा को स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं तक पहुँचाते हैं, जिससे उन्हें मरीजों की प्रगति को ट्रैक करने, उपचार योजनाओं को एडजस्ट (समायोजित) करने और आवश्यक होने पर सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करने की सहूलियत प्राप्त होती है।
  • परिणामस्वरूप, रिमोट मॉनिटरिंग यानी दूरस्थ निगरानी रोगी के अस्पताल में पुनः भर्ती होने के मामलों को कम करती है, रोगी अनुपालन में सुधार करती है, और समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप की सुविधा प्रदान करती है।

रेफरेंसः

  1. Chaudhry, S. I., Mattera, J. A., Curtis, J. P., Spertus, J. A., Herrin, J., Lin, Z., … & Krumholz, H. M. (2010). Telemonitoring in patients with heart failure. New England Journal of Medicine, 363(24), 2301-2309.
  2. Marzegalli, M., Lunati, M., Landolina, M., Perego, G. B., Ricci, R. P., Guenzati, G., … & Curnis, A. (2013). Remote monitoring of CRT-ICD: The multicenter Italian CareLink evaluation–ease of use, acceptance, and organizational implications. Pacing and Clinical Electrophysiology, 36(1), 60-68.

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