“रक्त लिपिड के स्तर में असंतुलन युवा भारतीयों के बीच स्वास्थ्य से जुड़ा एक चिंताजनक मुद्दा है और पारंपरिक रूप से वयोवृद्ध वयस्कों के साथ जुड़ा हुआ है।”
डिस्लिपिडेमिया के कारण
- सुस्त या निष्क्रिय जीवनशैली : व्यायाम की कमी लिपिड मेटाबॉलिज़्म पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
- अस्वास्थ्यकारी आहार : युवा पीढ़ी के बीच उच्च कैलोरी, प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड) खाद्य पदार्थ और संतृप्त वसा का सेवन काफ़ी व्यापक हो चुका है।
- मोटापा: युवा पीढ़ी में शरीर का अतिरिक्त वज़न तेज़ी से बढ़ रहा है।
- आनुवंशिकी: आनुवंशिक अंतर और पारिवारिक इतिहास, जो उन्हें डिस्लिपिडेमिया के प्रति और अधिक संवेदनशील बनाता है
डिस्लिपिडेमिया के परिणाम
- हृदय संबंधी रोग: लिपिड के उच्च स्तर से कोरोनरी धमनी का रोग, दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसी हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।
- मेटाबॉलिक (चयापचयी) लक्षण : इससे हाई ब्लड प्रेशर, इंसुलिन प्रतिरोध और पेट का मोटापा होता है।
- स्वास्थ्य संबंधी दीर्घकालिक निहितार्थ : युवा व्यक्तियों में, उनके बाद के जीवन में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, साथ ही उनकी जीवन प्रत्याशा कम हो सकती है।
रोकथाम के उपाय
- स्वस्थ जीवनशैली की ओर बदलाव : इसके लिए नियमित रूप से व्यायाम करना, शारीरिक गतिविधियों को जारी रखना और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों और संतृप्त वसा के सेवन को सीमित करते हुए फलों, सब्ज़ियों, साबुत अनाज और लीन (दुर्बल) प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार अपनाना महत्वपूर्ण है।
- वज़न प्रबंधन : व्यायाम और पौष्टिक आहार के संयोजन के माध्यम से स्वस्थ वज़न बनाए रखना आवश्यक है।
- नियमित स्वास्थ्य जाँच: प्रारंभिक चरण में, युवा भारतीयों को अपने नियमित स्वास्थ्य जाँच को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- शिक्षा और जागरूकता : युवा भारतीयों में डिस्लिपिडेमिया के जोखिमों और इसके परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
रेफरेंसः
- Dalal J, Deb PK, Shrivastava S, Rao MS, et al. Vascular Disease in Young Indians (20–40 Years): Role of Dyslipidemia J Clin Diagn Res. 2016;10(7):OE01-OE5.
- Sawant AM, Shetty D, Mankeshwar R, et al. Prevalence of dyslipidemia in the young adult Indian population The Journal of the Association of Physicians of India. 2008 Feb; 56:99–102. PMID: 18472509.